मुरली सार:- "मीठे बच्चे - तुम्हें बाप समान मुरलीधर जरूर बनना है, मुरलीधर बच्चे ही बाप
के मददगार हैं, बाप उन पर ही राज़ी होता है
प्रश्न:- किन बच्चों की बुद्धि बहुत-बहुत निर्मान हो जाती है?
उत्तर:- जो अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान कर सच्चे फ्लैन्थ्रोफिस्ट बनते हैं, होशियार सेल्समैन बन
जाते हैं उनकी बुद्धि बहुत-बहुत निर्मान हो जाती है। सर्विस करते-करते बुद्धि रिफाइन हो जाती है।
दान करने में कभी भी अभिमान नहीं आना चाहिए। हमेशा बुद्धि में रहे कि शिवबाबा का दिया हुआ
दे रहे हैं। शिवबाबा की याद रहने से कल्याण हो जायेगा।
गीत:- तुम्हीं हो माता........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) दिल से सदा सच्चा रहना है। सच बोलना है, सच होकर चलना है। देह-अभिमान के वश स्वयं
को मियां मिट्ठू नहीं समझना है। अहंकार में नहीं आना है।
2) साक्षी होकर खेल देखना है। ड्रामा पर मजबूत रहना है। किसी भी बात का फा नहीं करना है।
अवस्था सदा हर्षित रखनी है।
वरदान:- तपस्या और सेवा द्वारा भविष्य राज्य-भाग्य का सिंहासन लेने वाले सिंहासनधारी भव
जो बच्चे यहाँ सेवा की सीट पर नजदीक हैं वह भविष्य में राज्य सिंहासन के भी नजदीक हैं। जितना
यहाँ सेवा के सहयोगी उतना वहाँ राज्य के सदा साथी। यहाँ तपस्या और सेवा का आसन और वहाँ
राज्य भाग्य का सिंहासन। जैसे यहाँ हर कर्म में बापदादा की याद में साथी हैं वैसे वहाँ बचपन से
लेकर राज्य करने के हर कर्म में साथी हैं। जो सदा समीप, सदा साथी, सदा सहयोगी, सदा तपस्या
और सेवा के आसन पर रहते हैं वही भविष्य में सिंहासनधारी बनते हैं।
स्लोगन:- रूहे गुलाब वह है जो अपनी रूहानी वृत्ति से वायुमण्डल में रूहानियत की खुशबू फैलाता रहे।