मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - जैसे बाप सबको सुख देते हैं, ऐसे तुम बच्चे भी फूल बन सबको सुख दो,
प्रश्न:- बाप जब बच्चों से मिलते हैं तो कौन-सी बात और किन मीठे शब्दों में पूछते हैं?
उत्तर:- मीठे-मीठे लाडले सिकीलधे बच्चे-खुश मौज में हो? यह प्यार के बोल शिवबाबा के मुख से ही
गीत:- माता ओ माता....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) काँटे से फूल बनाने की सेवा करनी है, बाप समान रूप-बसन्त बनना है।
2) समर्थ उस्ताद की सुमत (श्रीमत) पर चल मायाजीत जगतजीत बनना है।
वरदान:- बुद्धि को डायरेक्शन प्रमाण श्रेष्ठ स्थिति में स्थित करने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
कई बच्चे जब योग में बैठते हैं तो आत्म-अभिमानी होने के बदले सेवा याद आती है, लेकिन ऐसा नहीं
स्लोगन:- किसी भी परिस्थिति को सहज पार करने का साधन है - एक बल, एक भरोसा।
किसी को काँटा नहीं लगाओ, सदा हर्षित रहो''
प्रश्न:- बाप जब बच्चों से मिलते हैं तो कौन-सी बात और किन मीठे शब्दों में पूछते हैं?
उत्तर:- मीठे-मीठे लाडले सिकीलधे बच्चे-खुश मौज में हो? यह प्यार के बोल शिवबाबा के मुख से ही
अच्छे लगते हैं। प्यार से शिवबाबा पूछते हैं-बच्चे, राजी खुशी हो? क्योंकि बाप जानते हैं बच्चे अभी
युद्ध के मैदान में खड़े हैं। माया पहलवान बन बच्चों को पीछे हटाने आती है, इसलिए बाबा पूछते हैं
कि-बच्चे, मायाजीत बने हो, सदा समर्थ उस्ताद याद रहता है? खुशी रहती है?
गीत:- माता ओ माता....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) काँटे से फूल बनाने की सेवा करनी है, बाप समान रूप-बसन्त बनना है।
2) समर्थ उस्ताद की सुमत (श्रीमत) पर चल मायाजीत जगतजीत बनना है।
कभी भी हार नहीं खानी है।
वरदान:- बुद्धि को डायरेक्शन प्रमाण श्रेष्ठ स्थिति में स्थित करने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
कई बच्चे जब योग में बैठते हैं तो आत्म-अभिमानी होने के बदले सेवा याद आती है, लेकिन ऐसा नहीं
होना चाहिए क्योंकि लास्ट समय अगर अशरीरी बनने के बजाए सेवा का भी संकल्प चला तो सेकण्ड के
पेपर में फेल हो जायेंगे। उस समय सिवाए बाप के, निराकारी, निर्विकारी, निरंहकारी - और कुछ याद न हो।
सेवा में फिर भी साकार में आ जायेंगे इसलिए यह अभ्यास करो कि जिस समय जिस स्थिति में स्थित
होना चाहें, स्थित हो जाएं - तब कहेंगे मास्टर सर्वशक्तिमान, कन्ट्रोलिंग और रूलिंग पावर वाले।
स्लोगन:- किसी भी परिस्थिति को सहज पार करने का साधन है - एक बल, एक भरोसा।