मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-मात-पिता को पूरा-पूरा फॉलो कर सपूत बनो,
याद और श्रीमत के आधार पर ही बाप के तख्तनशीन बनेंगे।''
प्रश्न:- किस पुरुषार्थ से सेकण्ड में जीवन्मुक्ति प्राप्त हो सकती है?
उत्तर:- पुरुषार्थ करो अन्तकाल में एक बाप के सिवाए दूसरा कोई भी याद न आये।
उत्तर:- पुरुषार्थ करो अन्तकाल में एक बाप के सिवाए दूसरा कोई भी याद न आये।
इसके लिए बुद्धि को गृहस्थ व्यवहार में रहते भी न्यारा रखो, सब कुछ भूलते जाओ,
श्रीमत पर चलते रहो। किसी को भी काँटा नहीं लगाओ। हर कदम में मात-पिता
को फॉलो करो। कोई भी कमी है तो अविनाशी सर्जन को सच-सच बतलाओ।
गीत:- नई उमर की कलियाँ...
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) मात-पिता के तख्त को जीतने की दौड़ लगानी है। पूरा फॉलो करना है।
2) पुराने कॉटों से सम्बन्ध तोड़ ''मेरा तो एक दूसरा न कोई'' इस निश्चय में पक्का रहना है।
वरदान:- स्वराज्य की सत्ता द्वारा विश्व राज्य की सत्ता प्राप्त करने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
जो इस समय स्वराज्य सत्ताधारी अर्थात् कर्मेन्द्रिय-जीत हैं वही विश्व की राज्य
सत्ता प्राप्त करते हैं। स्वराज्य अधिकारी ही विश्व राज्य अधिकारी बनते हैं। तो चेक
करो मन-बुद्धि और संस्कार जो आत्मा की शक्तियां हैं, आत्मा इन तीनों की मालिक है?
मन आपको चलाता है या आप मन को चलाते हैं? कभी संस्कार अपनी तरफ खींच तो
नहीं लेते हैं? स्वराज्य अधिकारी की स्थिति सदा मास्टर सर्वशक्तिमान है, जिसमें कोई
भी शक्ति की कमी नहीं।
स्लोगन:- सर्व खजानों की चाबी - ''मेरा बाबा'' साथ हो तो कोई भी आकर्षण आकर्षित कर नहीं सकती।