Thursday, June 27, 2013

Murli [27-06-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-साइलेन्स के आधार पर तुम विश्व में एक धर्म, एक राज्य की स्थापना 
करते हो-यह है साइलेन्स का घमन्ड'' 

प्रश्न:- सारी दुनिया अपने आपको श्रापित कैसे करती और बच्चे कैसे करते? 
उत्तर:- सारी दुनिया भगवान को सर्वव्यापी कह अपने आपको श्रापित करती और बच्चे बाबा-बाबा 
कह फिर यदि काम अग्नि से स्वयं को भस्म करते तो श्रापित हो जाते। माया का थप्पड़ लग जाता है। 
बाबा कहते-हे मीठी लाडली आत्मायें, अब सतोप्रधान बनो, भस्मासुर नहीं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) कर्मातीत बनने की रेस करनी है। अच्छा फल प्राप्त करने के लिए याद में रहकर सर्विस करनी है। 

2) स्वच्छ बुद्धि वालों का संग करके स्वच्छ बनना है। बाप के गुणों को स्वयं में धारण करना है। 
स्वयं को कभी भी श्रापित नहीं करना है। 

वरदान:- बाप समान हर आत्मा पर कृपा वा रहम करने वाले मास्टर रहमदिल भव 

जैसे बाप रहमदिल है, ऐसे आप बच्चे भी सब पर कृपा वा रहम करेंगे क्योंकि बाप समान निमित्त 
बने हुए हो। ब्राह्मण आत्मा को कभी किसी आत्मा के प्रति घृणा नहीं आ सकती। चाहे कोई कंस हो, 
जरासंधी हो या रावण हो - कोई भी हो लेकिन फिर भी रहमदिल बाप के बच्चे घृणा नहीं करेंगे। 
परिवर्तन की भावना, कल्याण की भावना रखेंगे क्योंकि फिर भी अपना परिवार है, परवश है, 
परवश के ऊपर घृणा नहीं आती। 

स्लोगन:- मास्टर ज्ञान सूर्य बन शक्तियों रूपी किरणों से कमजोरी रूपी किचड़े को भस्म कर दो।