Tuesday, June 11, 2013

Murli [11-06-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-अब पुण्य आत्मा बनने के लिए परम शिक्षक की शिक्षाओं को धारण करो, 
पाप कर्मों के खाते को योग द्वारा चुक्तू करो'' 

प्रश्न:- मोस्ट बिलवेड बाप में भी कई बच्चों को कभी-कभी संशय उठ जाता है-क्यों और कब? 
उत्तर:- बच्चे जब किसी की बातों में आ जाते, संगदोष में आने से ही संशय उठता है। यहाँ से बाहर 
गये तो यहाँ की यहाँ रही। ऐसा भूल जाते जो अपनी खुश-ख़ैराफ़त का समाचार भी नहीं देते। क्लास 
में भी नहीं जाते, मुरली भी नहीं पढ़ते इसलिए बाबा कहते-बच्चे, इस संगदोष से बहुत सावधान 
रहना। कभी भी किसी की बातों में नहीं आना। 

गीत:- इस पाप की दुनिया से..... 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) स्वीट होम में जाने के लिए बहुत-बहुत स्वीट बनना है। कभी भी संगदोष में आकर बाप को 
भूलना नहीं है। संशय नहीं उठाना है। 

2) अन्तिम विनाश की सीन देखने के लिए पक्का ब्राह्मण, सर्विसएबुल बनना है। बाप का बनकर 
बाप की बदनामी नहीं करानी है। 

वरदान:- मन्सा और वाचा के मेल द्वारा जादूमंत्र करने वाले नवीनता और विशेषता सम्पन्न भव 

मन्सा और वाचा दोनों का मिलन जादूमंत्र का काम करता है, इससे संगठन की छोटी-छोटी बातें 
ऐसे समाप्त हो जायेंगी जो आप सोचेंगे कि यह तो जादू हो गया। मन्सा शुभ भावना वा शुभ दुआयें 
देने में बिजी हो तो मन की हलचल समाप्त हो जायेगी, पुरुषार्थ से कभी दिलशिकस्त नहीं होंगे। 
संगठन में कभी घबरायेंगे नहीं। मन्सा-वाचा की सम्मिलित सेवा से विहंग मार्ग की सेवा का प्रभाव 
देखेंगे। अब सेवा में इसी नवीनता और विशेषता से सम्पन्न बनो तो 9 लाख प्रजा सहज तैयार हो जायेगी। 

स्लोगन:- बुद्धि यथार्थ निर्णय तब देगी जब पूरे-पूरे वाइसलेस बनेंगे।