Monday, April 8, 2013

Murli [8-04-2013]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम्हें डबल अहिंसक बनना है, मन्सा-वाचा-कर्मणा तुम कभी किसी को दु:ख नहीं दे सकते हो।'' 

प्रश्न:- कल्प-कल्प जिन बच्चों ने बाप से पूरा वर्सा लिया है, उनकी निशानी क्या होगी? 
उत्तर:- वे पतितों का संग छोड़ बाप से वर्सा लेने के लिए श्रीमत पर चलने लग पड़ेंगे। बाप का जो पहला फरमान है 
कि गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र बनो, इस फरमान पर पूरा-पूरा चलेंगे। कभी प्रश्न नहीं उठेगा कि आखिर भी दुनिया 
कैसे चलेगी। उनकी आपस में कभी क्रिमिनल एसाल्ट हो नहीं सकती। वे अपने को शिवबाबा के पोत्रे, ब्रह्मा के बच्चे 
भाई-बहिन समझकर चलते हैं। 

गीत:- माता ओ माता... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) डबल अहिंसक बन मन वचन कर्म से किसी को भी दु:ख नहीं देना है। पवित्रता की सच्ची राखी बाँधनी है। 

2) पतितों का संग छोड़ एक बाप के फरमान पर ही चलना है।
स्वर्ग का मालिक बनने के लिए भूतों पर विजय प्राप्त करनी है। 

वरदान:- न्यारेपन के अभ्यास द्वारा पास विद आनर होने वाले ब्रह्मा बाप समान भव 

जैसे ब्रह्मा बाप ने साकार जीवन में कर्मातीत होने के पहले न्यारे और प्यारे रहने के अभ्यास का प्रत्यक्ष 
अनुभव कराया। सेवा वा कोई कर्म छोड़ा नहीं लेकिन न्यारे होकर सेवा की। यह न्यारा पन हर कर्म में 
सफलता सहज अनुभव कराता है। तो सेवा का विस्तार भल कितना भी बढ़ाओ लेकिन विस्तार में जाते 
सार की स्थिति का अभ्यास कम न हो तब ही डबल लाइट बन कर्मातीत स्थिति को प्राप्त कर डबल 
ताजधारी, ब्रह्मा बाप समान पास विद आनर बनेंगे। 

स्लोगन:- स्वयं को ऐसा शक्ति स्तम्भ बनाओ जो अनेको को नई जीवन बनाने की शक्ति प्राप्त हो।