रली सार:- ''मीठे बच्चे-आपस में अविनाशी ज्ञान रत्नों की लेन-देन करके एक दो की पालना करो,
प्रश्न:- अपने आपको अपार खुशी में रखने का पुरुषार्थ क्या है?
उत्तर:- खुशी में रहने के लिए विचार सागर मंथन करो। अपने आपसे बातें करना सीखो। अगर
गीत:- माता ओ माता....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कछुए मिसल सब कर्मेन्द्रियों को समेट बाप और वर्से को याद करना है। कर्मयोगी बनना है।
2) आपस में ज्ञान रत्नों की लेन-देन कर एक दो की पालना करनी है। सबसे रूहानी प्यार रखना है।
वरदान:- ज्ञान और योग की शक्ति से हर परिस्थिति को सेकण्ड में पास करने वाले महावीर भव
महावीर अर्थात् सदा लाइट और माइट हाउस। ज्ञान है लाइट और योग है माइट। जो इन दोनों
स्लोगन:- योग अग्नि से विकारों के बीज को भस्म कर दो तो समय पर धोखा मिल नहीं सकता।
ज्ञान रत्नों का दान करते रहो''
प्रश्न:- अपने आपको अपार खुशी में रखने का पुरुषार्थ क्या है?
उत्तर:- खुशी में रहने के लिए विचार सागर मंथन करो। अपने आपसे बातें करना सीखो। अगर
कर्मभोग आता है तो खुशी में रहने के लिए विचार करो-यह तो पुरानी जुत्ती है, हम तो 21 जन्मों
के लिए निरोगी काया वाले बन रहे हैं, जन्म-जन्मान्तर के लिए यह कर्मभोग समाप्त हो रहा है।
कोई भी बीमारी छूटती है, आफ़त हट जाती है तो खुशी होती है ना। ऐसे विचार कर खुशी में रहो।
गीत:- माता ओ माता....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कछुए मिसल सब कर्मेन्द्रियों को समेट बाप और वर्से को याद करना है। कर्मयोगी बनना है।
अपने आपसे बातें करनी है।
2) आपस में ज्ञान रत्नों की लेन-देन कर एक दो की पालना करनी है। सबसे रूहानी प्यार रखना है।
वरदान:- ज्ञान और योग की शक्ति से हर परिस्थिति को सेकण्ड में पास करने वाले महावीर भव
महावीर अर्थात् सदा लाइट और माइट हाउस। ज्ञान है लाइट और योग है माइट। जो इन दोनों
शक्तियों से सम्पन्न हैं वह हर परिस्थिति को सेकण्ड में पास कर लेते हैं। अगर समय पर पास न
होने के संस्कार पड़ जाते हैं तो फाइनल में भी वह संस्कार फुल पास होने नहीं देते। जो समय पर
फुल पास होता है उसको कहते हैं पास विद ऑनर। धर्मराज भी उसको ऑनर देता है।
स्लोगन:- योग अग्नि से विकारों के बीज को भस्म कर दो तो समय पर धोखा मिल नहीं सकता।