Sunday, April 28, 2013

Murli [27-04-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-जीते जी मरजीवा बनो, हम अशरीरी आत्मा हैं, यही पहला पाठ अच्छी 
तरह से रोज़ पक्का करते रहो'' 

प्रश्न:- सम्पूर्ण सरेन्डर किसको कहा जायेगा? 
उत्तर:- जो सम्पूर्ण सरेन्डर हैं वह देही-अभिमानी होंगे। यह देह भी हमारी नहीं, अभी हम नंगे 
बनते हैं अर्थात् तन-मन-धन जो कुछ है, वह बाबा को अर्पण करते हैं। सब मेरा मेरा समाप्त कर 
पूरे ट्रस्टी होकर रहना ही सम्पूर्ण सरेन्डर होना है। बाबा कहते-बच्चे, मेरा बनकर सबसे ममत्व 
मिटा दो। धन्धा धोरी करो, सम्भालो, माँ बाप की पालना का कर्जा उतारो परन्तु बाप की श्रीमत 
पर ट्रस्टी होकर। 

गीत:- दर पे आये हैं कसम ले..... 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) माया के विघ्नों से डरना नहीं है। बाप की याद से सब विघ्नों को हटा देना है। 

2) बुद्धि से सब कुछ सरेन्डर कर अशरीरी बन बाप को याद करना है। ज्ञानी तू आत्मा 
के साथ-साथ योगी भी जरूर बनना है। 

वरदान:- हर आत्मा के संबंध-सम्पर्क में आते सब प्रश्नों से पार रहने वाले सदा प्रसन्नचित भव 

हर आत्मा के संबंध-सम्पर्क में आते कभी चित के अन्दर यह प्रश्न उत्पन्न न हो कि यह 
ऐसा क्यों करता वा क्यों कहता, यह बात ऐसे नहीं, ऐसे होनी चाहिए। जो इन प्रश्नों से पार 
रहते हैं वही सदा प्रसन्नचित रहते हैं। लेकिन जो इन प्रश्नों की क्यू में चले जाते, रचना रच 
लेते तो उन्हें पालना भी करनी पड़ती। समय और एनर्जी भी देनी पड़ती, इसलिए इस व्यर्थ 
रचना का बर्थ कन्ट्रोल करो। 

स्लोगन:- अपने नयनों में बिन्दुरूप बाप को समा लो तो और कोई समा नहीं सकता।