मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - लक्ष्य सोप से आत्मा रूपी वस्त्र को साफ करो,
प्रश्न:- पुरुषार्थी बच्चे कर्मों की किस गुह्य गति को जानते हुए पुरुषार्थ में सदा तत्पर रहते हैं?
उत्तर:- आत्मा पर अनेक जन्मों के पाप कर्मो का बोझ है, अनेक कड़े संस्कार हैं, उन संस्कारों
गीत:- मैं एक नन्हा सा बच्चा हूँ...
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत पर पूरा नष्टोमोहा बनना है। परहेज और युक्ति से चलना है।
2) नींद को जीतने वाला बन अमृतवेले विशेष आत्मा को साफ बनाने के लिए बाप की
वरदान:- अपने शक्ति स्वरूप द्वारा अलौकिकता का अनुभव कराने वाले ज्वाला रूप भव
अभी तक बाप शमा की आकर्षण है, बाप का कर्तव्य चल रहा है, बच्चों का कर्तव्य गुप्त है।
स्लोगन:- अपनी कर्मेन्द्रियों को योग अग्नि में तपाने वाले ही सम्पूर्ण पावन बनते हैं।
अन्दर में कोई भी मैल नहीं रहनी चाहिए''
प्रश्न:- पुरुषार्थी बच्चे कर्मों की किस गुह्य गति को जानते हुए पुरुषार्थ में सदा तत्पर रहते हैं?
उत्तर:- आत्मा पर अनेक जन्मों के पाप कर्मो का बोझ है, अनेक कड़े संस्कार हैं, उन संस्कारों
को बिगर योग के परिवर्तन नहीं किया जा सकता। आत्मा पाप कर्म करते-करते बिल्कुल
मैली हो चुकी है इसलिए इसको साफ करने की मेहनत करनी है। वह याद के सिवाए साफ
नहीं होगी। याद में तूफान भी आयेंगे लेकिन कितने भी तूफान आयें वह पुरुषार्थ में सदा लगे रहेंगे।
गीत:- मैं एक नन्हा सा बच्चा हूँ...
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत पर पूरा नष्टोमोहा बनना है। परहेज और युक्ति से चलना है।
रजिस्टर खराब होने नहीं देना है।
2) नींद को जीतने वाला बन अमृतवेले विशेष आत्मा को साफ बनाने के लिए बाप की
याद में रहना है। ज्ञान-योग से आत्मा को पावन बनाना है।
वरदान:- अपने शक्ति स्वरूप द्वारा अलौकिकता का अनुभव कराने वाले ज्वाला रूप भव
अभी तक बाप शमा की आकर्षण है, बाप का कर्तव्य चल रहा है, बच्चों का कर्तव्य गुप्त है।
लेकिन जब आप अपने शक्ति स्वरूप में स्थित होंगे तो सम्पर्क में आने वाली आत्मायें
अलौकिकता का अनुभव करेंगी। अच्छा-अच्छा कहने वालों को अच्छा बनने की प्रेरणा
तब मिलेगी जब संगठित रूप में आप ज्वाला स्वरूप, लाइट हाउस बनेंगे। मास्टर
सर्वशक्तिमान् की स्टेज, स्टेज पर आ जाए तो सभी आपके आगे परवाने समान
चक्र लगाने लग जायें।
स्लोगन:- अपनी कर्मेन्द्रियों को योग अग्नि में तपाने वाले ही सम्पूर्ण पावन बनते हैं।