Tuesday, April 2, 2013

Murli [2-04-2013]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-माया के वश हो ईश्वरीय मत के विरूद्ध कोई कार्य नहीं करना, 
कभी भी बाप की निंदा नहीं कराना'' 

प्रश्न:- माया भी बाप की मददगार है-कैसे? 
उत्तर:- जब देखती है कोई श्रीमत की अवज्ञा करते हैं, बाप का कहना नहीं मानते हैं, 
श्रीमत पर नहीं चलते हैं तो वह कच्चा खा लेती है, थप्पड़ मार देती है। सयाना वह 
जो बाप की याद से माया को परख उसके वशीभूत न हो। 

गीत:- मुझको सहारा देने वाले... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप का आज्ञाकारी, वफ़ादार बनकर आशीर्वाद लेने के पात्र बनना है। 
कोई भी अवज्ञा नहीं करनी है। 

2) कभी कोई उल्टी चलन चलकर अपनी तकदीर को लकीर नहीं लगानी है। 
भस्मासुर नहीं बनना है। धर्मराज की सजाओं का डर रखना है। 

वरदान:- शुद्ध मन और दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा सेकण्ड में स्वीट होम की यात्रा 
करने वाले मा. सर्वशक्तिवान भव 
साइन्स वाले फास्ट गति के यन्त्र निकालने का प्रयत्न करते हैं, उसके लिए कितना 
खर्चा करते हैं, कितना समय और एनर्जी लगाते हैं, लेकिन आपके पास इतनी 
तीव्रगति का यन्त्र है जो बिना खर्च के सोचा और पहुंचा, आपको शुभ संकल्प का 
यन्त्र मिला है, दिव्य बुद्धि मिली है। इस शुद्ध मन और दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा 
जब चाहे तब चले जाओ और जब चाहे तब लौट आओ। मास्टर सर्वशक्तिवान को 
कोई रोक नहीं सकता। 

स्लोगन:- दिल सदा सच्ची हो तो दिलाराम बाप की आशीर्वाद मिलती रहेगी।