मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-योग से ही ताकत आयेगी, अनेक जन्मों की पुरानी आदतें मिटेंगी,
प्रश्न:- तुम बच्चे अभी कौन सी रेस कर रहे हो? उस रेस में थकावट कब आती है?
उत्तर:- तुम बच्चे अभी विजय माला का दाना बनने की रेस कर रहे हो। इस रेस में कोई कोई बहुत
गीत:- किसी ने अपना बनाके मुझको.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) गॉडली बुलबुल बन बाप का नाम बाला करना है। ज्ञान की धारणा कर अपने मैनर्स बहुत अच्छे बनाने हैं।
2) विजय माला में पिरोने की रेस करनी है। कभी भी तंग हो ब्राह्मण जीवन से थकना नहीं है।
वरदान:- सहयोग की शुभ भावना द्वारा रूहानी वायुमण्डल बनाने वाले मास्टर दाता भव
जैसे प्रकृति अपने वायुमण्डल के प्रभाव का अनुभव कराती है, कभी गर्मी, कभी सर्दी..ऐसे आप
स्लोगन:- इच्छा मात्रम् अविद्या की स्थिति द्वारा सर्व की इच्छाओं को पूर्ण करना ही कामधेनु बनना है।
सर्वगुण धारण होंगे इसलिए जितना हो सके बाप को याद करो''
प्रश्न:- तुम बच्चे अभी कौन सी रेस कर रहे हो? उस रेस में थकावट कब आती है?
उत्तर:- तुम बच्चे अभी विजय माला का दाना बनने की रेस कर रहे हो। इस रेस में कोई कोई बहुत
अच्छा दौड़ते हैं, कोई कोई थक जाते हैं। थकने का कारण है पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं। मैनर्स
सुधरते नहीं। ऐसे बच्चों पर शक पड़ता कि यह कल नहीं रह सकेंगे। काम या क्रोध के वशीभूत
होने के कारण ही थकावट आती है फिर कहते अब चढ़ नहीं सकेंगे, जो होना होगा वो देखा जायेगा।
यह भी तो वन्डर है ना।
गीत:- किसी ने अपना बनाके मुझको.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) गॉडली बुलबुल बन बाप का नाम बाला करना है। ज्ञान की धारणा कर अपने मैनर्स बहुत अच्छे बनाने हैं।
2) विजय माला में पिरोने की रेस करनी है। कभी भी तंग हो ब्राह्मण जीवन से थकना नहीं है।
श्रीमत पर सदा चलना है।
वरदान:- सहयोग की शुभ भावना द्वारा रूहानी वायुमण्डल बनाने वाले मास्टर दाता भव
जैसे प्रकृति अपने वायुमण्डल के प्रभाव का अनुभव कराती है, कभी गर्मी, कभी सर्दी..ऐसे आप
प्रकृतिजीत सदा सहयोगी, सहजयोगी आत्मायें अपनी शुभ भावनाओं द्वारा रूहानी वायुमण्डल
बनाने में सहयोगी बनो। वह ऐसा है वा ऐसा करता है, यह नहीं सोचो। कैसा भी वायुमण्डल है,
व्यक्ति है, मुझे सहयोग देना है। दाता के बच्चे सदा देते हैं। तो चाहे मन्सा से सहयोगी बनो,
चाहे वाचा से, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क के द्वारा। लेकिन लक्ष्य हो सहयोगी जरूर बनना है।
स्लोगन:- इच्छा मात्रम् अविद्या की स्थिति द्वारा सर्व की इच्छाओं को पूर्ण करना ही कामधेनु बनना है।