Wednesday, April 17, 2013

Murli [17-04-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अपना स्वभाव बहुत ही मीठा और शान्त बनाओ, 
बोल चाल ऐसा हो जो सब कहें यह तो जैसे देवता है'' 

प्रश्न:- तुम बच्चों को कौन सा सर्टीफिकेट संगम पर बाप से लेना है? 
उत्तर:- अपने दैवी मैनर्स का सर्टीफिकेट। बाप जो श्रृंगार कर रहे हैं, बच्चों की 
इतनी सेवा कर रहे हैं तो जरूर उसका रिटर्न देना है। बाप का मददगार बनना है। 
मददगार बच्चे वह जिनका स्वभाव देवताई हो। ईश्वरीय सर्विस में कभी थके नहीं। 
यज्ञ सेवा से स्नेह हो। ऐसे बच्चों को बाप भी इजाफ़ा देते हैं, खातिरी करते हैं। 
ऐसे सर्विसएबुल स्नेही बच्चों को देख-देख बाप हर्षित होते हैं। 

गीत:- तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है... 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) अपना बोल-चाल बहुत मीठा रखना है। कोई आसुरी कर्तव्य नहीं करना है। 
दैवी मैनर्स धारण करने हैं। 

2) बाप की सर्विस में बिगर कहे मददगार बनना है। बाप की मेहनत का रिटर्न 
अवश्य देना है। गफ़लत नहीं करनी है। 

वरदान:- अपनी जिम्मेवारियों के सब बोझ बाप को दे सदा निश्चिंत रहने वाले 
सफलता सम्पन्न सेवाधारी भव 

जो बच्चे जितना स्वयं हल्के रहते हैं, उतना सेवा और स्वयं सदा ऊपर चढ़ते 
रहते अर्थात् उन्नति को पाते रहते इसलिए सब जिम्मेवारियों के बोझ बाप 
को देकर स्वयं निष्फुरने रहो। किसी भी प्रकार के मैं पन का बोझ न हो। सिर्फ 
याद के नशे में रहो। बाप के साथ कम्बाइन्ड रहो तो जहाँ बाप है वहाँ सेवा तो 
स्वत: हुई पड़ी है। करावनहार करा रहा है तो हल्के भी रहेंगे और सफलता 
सम्पन्न भी बन जायेंगे। 

स्लोगन:- बेहद ड्रामा के हर दृश्य को निश्चित जानकर सदा निश्चिंत रहो।