Saturday, April 13, 2013

Murli [13-04-2013]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-देह सहित देह के सब सम्बन्धों के ट्रस्टी बनो, 
सबकी सम्भाल करते हुए किसी में भी ममत्व नहीं रखो'' 

प्रश्न:- इस ड्रामा में माया कौन सी भूलें जब करा देती है तब बाप अभुल बनाने आते हैं? 
उत्तर:- पहली भूल यह की जो ब्रह्म तत्व को ही परमात्मा समझ लिया। तत्व से योग 
लगाना यह तो मिथ्या है, इससे विकर्म विनाश हो नहीं सकते। 2- हिन्दुस्तान में 
रहने के कारण देवी-देवता धर्म के बदले अपना हिन्दू धर्म कह देना यह भी बड़ी भूल है। 
इस भूल के कारण धर्म की ताकत नहीं रही है। अब बाप आये हैं तुम्हें अभुल बनाने। 

गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे.... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) एम आब्जेक्ट को बुद्धि में रख पवित्र बनने के लिए पूरा नष्टोमोहा बनना है।
पुराने शरीरों से ममत्व निकाल देना है। 

2) उठते-बैठते बाप की याद में रहना है। किसी भी बात का अफ़सोस नहीं करना है।
कभी भी बाप की निंदा कराने वाला कोई कर्म नहीं करना है। 

वरदान:- साइलेन्स की शक्ति द्वारा जमा के खाते को बढ़ाने वाले श्रेष्ठ पद के अधिकारी भव 

जैसे वर्तमान समय साइन्स की शक्ति का बहुत प्रभाव है, अल्पकाल के लिए प्राप्ति करा रही है। 
ऐसे साइलेन्स की शक्ति द्वारा जमा का खाता बढ़ाओ। बाप की दिव्य दृष्टि से स्वयं में शक्ति 
जमा करो तब जमा किया हुआ समय पर दूसरों को दे सकेंगे। जो दृष्टि के महत्व को जानकर 
साइलेन्स की शक्ति जमा कर लेते हैं वही श्रेष्ठ पद के अधिकारी बनते हैं। उनके चेहरे से खुशी 
की रूहानी झलक दिखाई देती है। 

स्लोगन:- अपने आप नेचुरल अटेन्शन हो तो किसी भी प्रकार का टेन्शन आ नहीं सकता।