मुरली सार : ''मीठे बच्चे - बाप ने रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा है - तुम ब्राह्मण इस यज्ञ की सम्भाल करने वाले हो इसलिए तुम्हें पवित्र जरूर रहना है''
प्रश्न: अन्त समय में बाप किन बच्चों को सहायता देते हैं?
उत्तर: जो अच्छी रीति सर्विस करते हैं उन्हें अन्त में जब बहुत आफतें आयेंगी उस समय सहायता मिलेगी। जरूर जो बाप के मददगार बने, बाप उन्हें मदद करेंगे।
प्रश्न:- वन्डरफुल मुखड़ा कौन सा है? उसका यादगार किस रूप में है?
उत्तर:- शिवबाबा जिसे अपना मुखड़ा नहीं, वह जब इस मुखड़े का आधार लेते हैं तो यह हो जाता है वन्डरफुल मुखड़ा इसलिए तुम बच्चे सम्मुख मुखड़ा देखने के लिए आते हो। इसका यादगार रुण्ड माला में मुखड़ा दिखाते हैं।
गीत:- कितना मीठा कितना प्यारा.....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) पढ़ाई मोस्ट वैल्युबुल है। स्वयं भगवान पढ़ाते हैं इसलिए एक दिन भी मिस नहीं करनी है। ज्ञान खजाने से रोज़ झोली भरनी है।
2) यह पढ़ाई का समय है, यात्रा पर चल रहे हैं। रूद्र यज्ञ की सम्भाल करनी है, इसलिए पवित्र जरूर रहना है। किसी भी विकार के वश हो विघ्न नहीं डालना है।
वरदान: अपनी शक्तिशाली मन्सा शक्ति व शुभ भावना द्वारा बेहद सेवा करने वाले विश्व परिवर्तक भव
विश्व परिवर्तन के लिए सूक्ष्म शक्तिशाली स्थिति वाली आत्मायें चाहिए। जो अपनी वृत्ति द्वारा श्रेष्ठ संकल्प द्वारा अनेक आत्माओं को परिवर्तन कर सकें। बेहद की सेवा शक्तिशाली मन्सा शक्ति द्वारा, शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा होती है। तो सिर्फ स्वयं के प्रति भावुक नहीं लेकिन औरों को भी शुभ भावना, शुभ कामना द्वारा परिवर्तित करो। बेहद की सेवा वा विश्व प्रति सेवा बैलेन्स वाली आत्मायें कर सकती हैं। तो भावना और ज्ञान, स्नेह और योग के बैलेन्स द्वारा विश्व परिवर्तक बनो।
स्लोगन: बुद्धि रूपी हाथ बापदादा के हाथ में दे दो तो परीक्षाओं रूपी सागर में हिलेंगे नहीं।
प्रश्न: अन्त समय में बाप किन बच्चों को सहायता देते हैं?
उत्तर: जो अच्छी रीति सर्विस करते हैं उन्हें अन्त में जब बहुत आफतें आयेंगी उस समय सहायता मिलेगी। जरूर जो बाप के मददगार बने, बाप उन्हें मदद करेंगे।
प्रश्न:- वन्डरफुल मुखड़ा कौन सा है? उसका यादगार किस रूप में है?
उत्तर:- शिवबाबा जिसे अपना मुखड़ा नहीं, वह जब इस मुखड़े का आधार लेते हैं तो यह हो जाता है वन्डरफुल मुखड़ा इसलिए तुम बच्चे सम्मुख मुखड़ा देखने के लिए आते हो। इसका यादगार रुण्ड माला में मुखड़ा दिखाते हैं।
गीत:- कितना मीठा कितना प्यारा.....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) पढ़ाई मोस्ट वैल्युबुल है। स्वयं भगवान पढ़ाते हैं इसलिए एक दिन भी मिस नहीं करनी है। ज्ञान खजाने से रोज़ झोली भरनी है।
2) यह पढ़ाई का समय है, यात्रा पर चल रहे हैं। रूद्र यज्ञ की सम्भाल करनी है, इसलिए पवित्र जरूर रहना है। किसी भी विकार के वश हो विघ्न नहीं डालना है।
वरदान: अपनी शक्तिशाली मन्सा शक्ति व शुभ भावना द्वारा बेहद सेवा करने वाले विश्व परिवर्तक भव
विश्व परिवर्तन के लिए सूक्ष्म शक्तिशाली स्थिति वाली आत्मायें चाहिए। जो अपनी वृत्ति द्वारा श्रेष्ठ संकल्प द्वारा अनेक आत्माओं को परिवर्तन कर सकें। बेहद की सेवा शक्तिशाली मन्सा शक्ति द्वारा, शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा होती है। तो सिर्फ स्वयं के प्रति भावुक नहीं लेकिन औरों को भी शुभ भावना, शुभ कामना द्वारा परिवर्तित करो। बेहद की सेवा वा विश्व प्रति सेवा बैलेन्स वाली आत्मायें कर सकती हैं। तो भावना और ज्ञान, स्नेह और योग के बैलेन्स द्वारा विश्व परिवर्तक बनो।
स्लोगन: बुद्धि रूपी हाथ बापदादा के हाथ में दे दो तो परीक्षाओं रूपी सागर में हिलेंगे नहीं।