Saturday, June 30, 2012

Murli [30-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम रूहानी अश्व हो, तुम्हें विजयी रत्न बनने की रेस करनी है, महारथी अश्व वह जो राजाई पाने की रेस करें'' 
प्रश्न: तुम बच्चों में सतोप्रधान पुरूषार्थी कौन और तमो पुरूषार्थी कौन? 
उत्तर: सतोप्रधान पुरूषार्थी वह जो रचयिता और रचना को जानकर पुरूषार्थ करते हैं। जिनकी बुद्धि में सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज घूमती रहती है, जिन्हें बाप की याद का शुद्ध अहंकार है और तमो पुरूषार्थी वह जो कहते कल्प पहले जैसा पुरूषार्थ किया होगा वैसा कर लेंगे। जो मिलना होगा वह मिल जायेगा। 
गीत:- दु:खियों पर कुछ रहम करो माँ बाप हमारे... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1. कोई भी विकर्म इन कर्मेन्द्रियों द्वारा नहीं करना है। संस्कारों को रॉयल बनाना है। माया के तूफानों से डरना नहीं है। ज्ञान-योग में तीखा बनना है। 
2. श्रीमत पर कोई भी ग्रहचारी को पार कर तीव्र वेगी बनना है। उल्टी मत पर नहीं चलना है। खबरदार रह याद की रेस करनी है। 
वरदान: अपने श्रेष्ठ कर्म रूपी दर्पण द्वारा ब्रह्मा बाप के कर्म दिखलाने वाले बाप समान भव 
एक-एक ब्राह्मण आत्मा, श्रेष्ठ आत्मा हर कर्म में ब्रह्मा बाप के कर्म का दर्पण हो। ब्रह्मा बाप के कर्म आपके कर्म के दर्पण में दिखाई दें। जो बच्चे इतना अटेन्शन रखकर हर कर्म करते हैं उनका बोलना, चलना, उठना, बैठना सब ब्रह्मा बाप के समान होगा। हर कर्म वरदान योग्य होगा, मुख से सदैव वरदान निकलते रहेंगे। फिर साधारण कर्म में भी विशेषता दिखाई देगी। तो यह सर्टीफिकेट लो तब कहेंगे बाप समान।