Wednesday, June 27, 2012

Murli [27-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - देह सहित इन आंखों से जो कुछ देखते हो - उसे भूल एक बाप को याद करो क्योंकि अब यह सब खत्म होने वाला है।'' 
प्रश्न: सतयुग में राज्य पद की लाटरी विन करने का पुरूषार्थ क्या है? 
उत्तर: सतयुग में राज्य पद लेना है तो अपने ऊपर पूरी नज़र रखो। अन्दर कोई भी भूत न रहे। अगर कोई भी भूत होगा तो लक्ष्मी को वर नहीं सकेंगे। राजा बनने के लिए प्रजा भी बनानी है। 2- यहाँ ही रोना प्रूफ बनना है। किसी देहधारी की याद में शॉक आया, शरीर छूटा तो पद भ्रष्ट हो जायेगा इसलिए बाप की याद में रहने का पुरुषार्थ करना है। 
गीत:- आज नहीं तो कल... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) किसी भी देहधारी में अपनी बुद्धि नहीं लटकानी है। याद का रिकार्ड ठीक रखना है। कभी भी रोना नहीं है। 
2) अपने शान्ति स्वधर्म में स्थित रहना है। शान्ति के लिए भटकना नहीं है। सबको इस भटकने से छुड़ाना है। शान्तिधाम और सुखधाम को याद करना है। 
वरदान: मेरे को तेरे में परिवर्तन कर सर्व आकर्षण मुक्त बनने वाले डबल लाइट भव 
लौकिक सम्बन्धों में सेवा करते हुए सदा यही स्मृति रहे कि ये मेरे नहीं हैं, सभी बाप के बच्चे हैं। बाप ने इनकी सेवा अर्थ हमें निमित्त बनाया है। घर में नहीं रहते लेकिन सेवास्थान पर रहते हैं। मेरा सब तेरा हो गया। शरीर भी मेरा नहीं। मेरे में ही आकर्षण होती है। जब मेरा समाप्त हो जाता है तब मन बुद्धि को कोई भी अपनी तरफ खींच नहीं सकता। ब्राह्मण जीवन में मेरे को तेरे में बदलने वाले ही डबल लाइट रह सकते हैं। 
स्लोगन: विघ्न प्रूफ बनने के लिए दुआओं का खजाना जमा करो।