Tuesday, June 26, 2012

Murli [26-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - स्वयं को 21 जन्मों के लिए स्वराज्य तिलक देना है तो देह सहित देह का सब भान भूल एक बाप को याद करो'' 
प्रश्न: गरीब बच्चों की किस सयानप (समझदारी) से बाप खुश होते हैं, उन्हें कौन सी राय देते हैं? 
उत्तर: गरीब बच्चे - जो अपना ठिक्कर ठोबर (कौड़ियां) बाबा की सेवा में सफल कर, भविष्य 21 जन्मों के लिए अपना भाग्य जमा कर लेते हैं, बाबा भी उन बच्चों की इस सयानप से बहुत खुश होते हैं। बाबा फिर ऐसे बच्चों को फर्स्टक्लास राय देते - बच्चे तुम ट्रस्टी बनो। अपना नहीं समझो। बच्चों आदि को भी ट्रस्टी होकर सम्भालो। ज्ञान से तुम अपनी जीवन का सुधार कर राजाओं का राजा बनो। 
गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अन्दर से भूतों को निकाल नर से नारायण बनने के लायक बनना है, दिल दर्पण में देखना है, हम कहाँ तक लायक बने हैं। 
2) अपने को आत्मा समझ अशरीरी बन बाप को याद करना है। शरीर का भान न रहे - इसका अभ्यास करना है। 
वरदान: बुराई में भी बुराई को न देख अच्छाई का पाठ पढ़ने वाले अनुभवी मूर्त भव 
चाहे सारी बात बुरी हो लेकिन उसमें भी एक दो अच्छाई जरूर होती हैं। पाठ पढ़ाने की अच्छाई तो हर बात में समाई हुई है ही क्योंकि हर बात अनुभवी बनाने के निमित्त बनती है। धीरज का पाठ पढ़ा देती है। दूसरा आवेश कर रहा है और आप उस समय धीरज वा सहनशीलता का पाठ पढ़ रहे हो, इसलिए कहते हैं जो हो रहा है वह अच्छा और जो होना है वह और अच्छा। अच्छाई उठाने की सिर्फ बुद्धि चाहिए। बुराई को न देख अच्छाई उठा लो तो नम्बरवन बन जायेंगे। 
स्लोगन: सदा प्रसन्नचित रहना है तो साइलेन्स की शक्ति से बुराई को अच्छाई में परिवर्तन करो।