Sunday, June 24, 2012

Murli [24-06-2012]-Hindi

24-06-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''मातेश्वरी'' रिवाइज:19-02-57 मधुबन 
''मुक्ति और जीवनमुक्ति की स्टेज'' 
24-06-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:23-01-75 मधुबन 
स्वमान की सीट पर सेट होकर कर्म करने वाला ही महान् 
वरदान: निर्मानता द्वारा नव निर्माण करने वाले निराशा और अभिमान से मुक्त भव 
कभी भी पुरूषार्थ में निराश नहीं बनो। करना ही है, होना ही है, विजय माला मेरा ही यादगार है, इस स्मृति से विजयी बनो। एक सेकण्ड वा मिनट के लिए भी निराशा को अपने अन्दर स्थान न दो। अभिमान और निराशा-यह दोनों महाबलवान बनने नहीं देते हैं। अभिमान वालों को अपमान की फीलिंग बहुत आती है, इसलिए इन दोनों बातों से मुक्त बन निर्मान बनो तो नव निर्माण का कार्य करते रहेंगे। 
स्लोगन: विश्व सेवा के तख्तनशीन बनो तो राज्य तख्तनशीन बन जायेंगे।