Friday, June 22, 2012

Murli [22-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - यह तुम सबकी वानप्रस्थ अवस्था है, वापस घर जाना है इसलिए बाप और घर को याद करो, पावन बनो, सब खाते खलास करो'' 
प्रश्न: बाप ही बच्चों को कौन सा धीरज देते हैं? 
उत्तर: बच्चे, अभी इस रुद्र ज्ञान यज्ञ में अनेक प्रकार के विघ्न पड़ते हैं, परन्तु धीरज धरो, जब तुम्हारा प्रभाव निकलेगा, ढेर के ढेर आने लगेंगे फिर सब तुम्हारे आगे आकर माथा झुकायेंगे। बांधेलियों के बन्धन खलास हो जायेंगे। जितना तुम बाप को याद करेंगे, बंधन टूटते जायेंगे। तुम विकर्माजीत बनते जायेंगे। 
गीत:- भोलेनाथ से निराला... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) होशियार व्यापारी बन पुराने सब खाते खलास कर सुख का खाता शुरू करना है। याद में रह विकर्मो के बन्धन काटने हैं। धीरज धरना है, उतावला नहीं होना है। 
2) घर में बैठ भोजन बनाते, हर कर्म करते बाप की याद में रहना है। बाप जो अविनाशी ज्ञान रत्न देते हैं। उनसे अपनी झोली भर दूसरों को दान करना है। 
वरदान: अमृतवेले तीन बिन्दियों का तिलक लगाने वाले क्यूं, क्या की हलचल से मुक्त अचल-अडोल भव 
बापदादा सदा कहते हैं कि रोज़ अमृतवेले तीन बिन्दियों का तिलक लगाओ। आप भी बिन्दी, बाप भी बिन्दी और जो हो गया, जो हो रहा है नथिंगन्यु, तो फुलस्टॉप भी बिन्दी। यह तीन बिन्दी का तिलक लगाना अर्थात् स्मृति में रहना। फिर सारा दिन अचल-अडोल रहेंगे। क्यूं, क्या की हलचल समाप्त हो जायेगी। जिस समय कोई बात होती है उसी समय फुलस्टॉप लगाओ। नथिंगन्यु, होना था, हो रहा है... साक्षी बन देखो और आगे बढ़ते चलो। 
स्लोगन: परिवर्तन शक्ति द्वारा व्यर्थ संकल्पों के बहाव का फोर्स समाप्त कर दो तो समर्थ बन जायेंगे।