Saturday, June 2, 2012

Murli [2-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सच्चे बाप को अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल दो, हर बात में श्रीमत लेते रहो, इसमें ही तुम्हारा कल्याण है'' 
प्रश्न: अभी तुम कौन सा सौदा किस विधि से करते हो? 
उत्तर: सरेन्डर बुद्धि बन कहते हो बाबा मैं आपका हूँ, यह तन-मन-धन सब आपका है। बाबा फिर कहते बच्चे स्वर्ग की बादशाही आपकी है। यह है सौदा। परन्तु इसमे सच्ची दिल चाहिए। निश्चय भी पक्का चाहिए। अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल बाप को देना है। 
गीत:- तुम्हीं हो माता पिता... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अन्दर में कोई भी काम या क्रोध का अवगुण है तो उसे निकाल सच्चा-सच्चा खुदाई खिदमतगार बनना है। तूफानों में खबरदार रहना है। हार नहीं खानी है। 
2) बाप के डायरेक्शन से सुदामें मिसल चावल मुट्ठी दे 21 जन्मों की बादशाही लेनी है। 
वरदान: ब्राह्मण सो फरिश्ता सो जीवन-मुक्त देवता बनने वाले सर्व आकर्षण मुक्त भव 
संगमयुग पर ब्राह्मणों को ब्राह्मण से फरिश्ता बनना है, फरिश्ता अर्थात् जिसका पुरानी दुनिया, पुराने संस्कार, पुरानी देह के प्रति कोई भी आकर्षण का रिश्ता नहीं। तीनों से मुक्त इसलिए ड्रामा में पहले मुक्ति का वर्सा है फिर जीवनमुक्ति का। तो फरिश्ता अर्थात् मुक्त और मुक्त फरिश्ता ही जीवनमुक्त देवता बनेंगे। जब ऐसे ब्राह्मण सो सर्व आकर्षण मुक्त फरिश्ता सो देवता बनों तब प्रकृति भी दिल व जान, सिक व प्रेम से आप सबकी सेवा करेगी। 
स्लोगन: अपने संस्कारों को इज़ी (सरल) बना दो तो सब कार्य इज़ी हो जायेंगे।