Monday, June 18, 2012

Murli [18-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सदा इसी नशे में रहो कि ज्ञान सागर बाप की ज्ञान वर्षा हमारे ऊपर हो रही है, जिससे हम पावन बन अपने बड़े घर में जायेंगे'' 
प्रश्न: तुम बच्चों का निश्चय किस आधार से और भी पक्का होता जायेगा? 
उत्तर: दुनिया में जितने हंगामें बढ़ेंगे, तुम्हारे दैवी झाड़ की वृद्धि होगी, उतना पुरानी दुनिया से दिल हटती जायेगी और तुम्हारा निश्चय पक्का होता जायेगा। विहंग मार्ग की सर्विस होती जायेगी, धारणा पर अटेन्शन देते जायेंगे तो बुद्धि का हौंसला बढ़ता जायेगा। अपार खुशी में रहेंगे। 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) कर्मभोग से छूटने के लिए एक बाप की याद में रहना है। देहधारी की याद से टाइम वेस्ट नहीं करना है। बुद्धि की लाइन बहुत क्लीयर रखनी है। 
2) भोजन बहुत शुद्ध खाना है। जैसा अन्न वैसा मन इसलिए किसी भी मलेच्छ के हाथ का भोजन नहीं खाना है। बुद्धि को स्वच्छ बनाना है। 
वरदान: विपरीत भावनाओं को समाप्त कर अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने वाले सद्भावना सम्पन्न भव 
जीवन में उड़ती कला वा गिरती कला का आधार दो बातें हैं - भावना और भाव। सर्व के प्रति कल्याण की भावना, स्नेह-सहयोग देने की भावना, हिम्मत-उल्लास बढ़ाने की भावना, आत्मिक स्वरूप की भावना वा अपने पन की भावना ही सद्भावना है, ऐसी भावना वाले ही अव्यक्त स्थिति में स्थित हो सकते हैं। अगर इनके विपरीत भावना है तो व्यक्त भाव अपनी तरफ आकर्षित करता है। किसी भी विघ्न का मूल कारण यह विपरीत भावनायें हैं। 
स्लोगन: सर्वशक्तिमान् बाप जिसके साथ है, माया उसके सामने पेपर टाइगर है।