Wednesday, June 13, 2012

Murli [13-06-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - ज्ञान का फाउन्डेशन है निश्चय, निश्चयबुद्धि बन पुरुषार्थ करो तो मंजिल तक पहुँच जायेंगे'' 
प्रश्न: कौन सी एक बात बहुत ही समझने और निश्चय करने की है? 
उत्तर: अब सभी आत्माओं का हिसाब-किताब चुक्तू होने वाला है। सभी मच्छरों सदृश्य जायेंगे अपने स्वीट होम, फिर नई दुनिया में थोड़ी सी आत्मायें आयेंगी। यह बात बहुत ही समझने और निश्चय करने की है। 
प्रश्न:- बाप किन बच्चों को देख खुश होते हैं? 
उत्तर:- जो बच्चे बाप पर पूरा बलि चढ़ते हैं, जो माया से हिलते नहीं अर्थात् हनूमान की तरह अचल अडोल रहते हैं। ऐसे बच्चों को देख बाप भी खुश होते हैं। 
गीत:- धीरज धर मनुआ... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) उठते-बैठते चलते अपने को एक्टर समझना है, दिल में रहे हमने 84 जन्मों का पार्ट पूरा किया, अब घर जाना है। देही-अभिमानी हो रहना है। 
2) निश्चयबुद्धि हो कांटों से फूल बनने का पुरुषार्थ करना है। माया से युद्ध कर विजयी बन कर्मातीत बनना है। जितना हो सके अपने घर को याद करना है। 
वरदान: साइलेन्स की शक्ति से बुराई को अच्छाई में बदलने वाले शुभ भावना सम्पन्न भव 
जैसे साइन्स के साधन से खराब माल को भी परिवर्तन कर अच्छी चीज़ बना देते हैं। ऐसे आप साइलेन्स की शक्ति से बुरी बात वा बुरे संबंध को बुराई से अच्छाई में परिवर्तन कर दो। ऐसे शुभ भावना सम्पन्न बन जाओ जो आपके श्रेष्ठ संकल्प से अन्य आत्मायें भी बुराई को बदल अच्छाई धारण कर लें। नॉलेजफुल के हिसाब से राइट रांग को जानना अलग बात है लेकिन स्वयं में बुराई को बुराई के रूप में धारण करना गलत है, इसलिए बुराई को देखते, जानते भी उसे अच्छाई में बदल दो। 
स्लोगन: सहनशीलता का गुण धारण करो तो कठोर संस्कार भी शीतल हो जायेंगे।