Monday, May 7, 2012

Murli [7-05-2012]-Hindi

07-05-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''बापदादा'' मधुबन 
मुरली सार : ''मीठे बच्चे - श्रीमत में कभी मनमत मिक्स नहीं करना, मनमत पर चलना माना अपनी तकदीर को लकीर लगाना'' 
प्रश्न: बच्चों को बाप से कौन सी उम्मींद नहीं रखनी चाहिए? 
उत्तर: कई बच्चे कहते हैं बाबा हमारी बीमारी को ठीक कर दो, कुछ कृपा करो। बाबा कहते यह तो तुम्हारे पुराने आरगन्स हैं। थोड़ी बहुत तकलीफ तो होगी ही, इसमें बाबा क्या करें। कोई मर गया, देवाला निकल गया तो इसमें बाबा से कृपा क्या मांगते हो, यह तो तुम्हारा हिसाब-किताब है। हाँ योगबल से तुम्हारी आयु बढ़ सकती है, जितना हो सके योगबल से काम लो। 
गीत:- तूने रात गॅवाई..... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप समान निरहंकारी बन सेवा करनी है। बाप की जो सेवा ले रहे हैं उसका दिल से रिटर्न देना है, बहुत मीठा बनना है। 
2) चलते फिरते अपना समय नहीं गंवाना है.. शिवबाबा के गले का हार बनने के लिए रेस करनी है। देह भी याद न पड़े..... इसका अभ्यास करना है। 
वरदान: बिजी रहने के सहज पुरूषार्थ द्वारा निरन्तर योगी, निरन्तर सेवाधारी भव 
ब्राह्मण जन्म है ही सदा सेवा के लिए। जितना सेवा में बिजी रहेंगे उतना सहज ही मायाजीत बनेंगे इसलिए जरा भी बुद्धि को फुर्सत मिले तो सेवा में जुट जाओ। सेवा के सिवाए समय नहीं गँवाओ। चाहे संकल्प से सेवा करो, चाहे वाणी से, चाहे कर्म से। अपने सम्पर्क और चलन द्वारा भी सेवा कर सकते हो। सेवा में बिजी रहना ही सहज पुरूषार्थ है। बिजी रहेंगे तो युद्ध से छूट निरन्तर योगी निरन्तर सेवाधारी बन जायेंगे। 
स्लोगन: आत्मा को सदा तन्दरूस्त रखना है तो खुशी की खुराक खाते रहो।