Thursday, May 17, 2012

Murli [17-05-2012]-Hindi

मुरली सार : ''मीठे बच्चे - जिस बाप को तुमने आधाकल्प याद किया, अब उसका फरमान मिलता है तो उसे पालन करो इससे तुम्हारी चढ़ती कला हो जायेगी'' 
प्रश्न: तुम बच्चों को अपनी नेचर-क्योर आपेही करनी है, कैसे? 
उत्तर: एक बाप की याद में रहने और यज्ञ की प्यार से सेवा करने से नेचर-क्योर हो जाती है क्योंकि याद से आत्मा निरोगी बनती है और सेवा से अपार खुशी रहती है। तो जो याद और सेवा में बिजी रहते हैं उनकी नेचर क्योर होती रहती है। 
गीत:- तूने रात गंवाई... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अपना पूरा कनेक्शन एक शिवबाबा से रखना है। कभी किसी भी देहधारी को याद नहीं करना है। कभी अपने उस्ताद (बाप) का नाम बदनाम नहीं करना है। 
2) अपने द्वारा यदि किसी का कल्याण होता है, तो मैंने इसका कल्याण किया, इस अहंकार में नहीं आना है। यह भी देह-अभिमान है। कराने वाले बाप को याद करना है। 
वरदान: दृढ़ निश्चय द्वारा फर्स्ट डिवीजन के भाग्य को निश्चित करने वाले मास्टर नॉलेजफुल भव 
दृढ़ निश्चय भाग्य को निश्चित कर देता है। जैसे ब्रह्मा बाप फर्स्ट नम्बर में निश्चित हो गये, ऐसे हमें फर्स्ट डिवीजन में आना ही है-यह दृढ़ निश्चय हो। ड्रामा में हर एक बच्चे को यह गोल्डन चांस है। सिर्फ अभ्यास पर अटेन्शन हो तो नम्बर आगे ले सकते हैं, इसलिए मास्टर नॉलेजफुल बन हर कर्म करते चलो। साथ के अनुभव को बढ़ाओ तो सब सहज हो जायेगा, जिसके साथ स्वयं सर्वशक्तिमान् बाप है उसके आगे माया पेपर टाइगर है। 
स्लोगन: स्वयं को हीरो पार्टधारी समझ बेहद नाटक में हीरो पार्ट बजाते रहो।