Today Murli ( God's Word For Today ) - 18-03-12 Hindi
''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:25-11-95 मधुबन
''परमत, परचिंतन और परदर्शन से मुक्त बनो और पर-उपकार करो''
वरदान: संकल्प रूपी बीज द्वारा वाणी और कर्म में सिद्धि प्राप्त करने वाले सिद्धि स्वरूप भव
बुद्धि में जो संकल्प आते हैं, वह संकल्प हैं बीज। वाचा और कर्मणा बीज का विस्तार है। अगर संकल्प अर्थात् बीज को त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित होकर चेक करो, शक्तिशाली बनाओ तो वाणी और कर्म में स्वत: ही सहज सफलता है ही। यदि बीज शक्तिशाली नहीं होता तो वाणी और कर्म में भी सिद्धि की शक्ति नहीं रहती। जरूर चैतन्य में सिद्धि स्वरूप बने हो तब तो जड़ चित्रों द्वारा भी और आत्मायें सिद्धि प्राप्त करती हैं।
स्लोगन: योग अग्नि से व्यर्थ के किचड़े को जला दो तो बुद्धि स्वच्छ बन जायेगी।
In Spiritual Service,
Brahma Kumaris....