मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - पढ़ाई में गफ़लत मत करो, अविनाशी ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरते रहो, विनाशी धन के पीछे इस कमाई को छोड़ना नहीं''
प्रश्न: जो बच्चे बाप के समान रहमदिल हैं, उनकी निशानियां क्या होंगी?
उत्तर: उन्हें ज्ञान का नशा चढ़ा हुआ होगा, वे ज्ञान रत्नों को स्वयं में धारण कर दूसरों को ज्ञान का इन्जेक्शन लगाते रहेंगे, सबको आसुरी मत से छुड़ाते रहेंगे। 2- जो बाबा सुनाते हैं, उसे नोट करेंगे और सवेरे-सवेरे उठ उस पर गौर करेंगे, विचार सागर मंथन कर सदा हर्षित रहेंगे।
गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) इस पुरानी दुनिया से उपराम रहना है। स्वच्छ बुद्धि बन ज्ञान धारण करके फिर दूसरों को धारण कराना है। विचार सागर मंथन करना है।
2) बाप समान रहमदिल बन सबको आसुरी मत से छुड़ाना है।
वरदान: दृढ़ संकल्प रूपी व्रत द्वारा अपनी वृत्तियों को परिवर्तन करने वाले महान आत्मा भव
महान आत्मा बनने का आधार है -''पवित्रता के व्रत को प्रतिज्ञा के रूप में धारण करना'' किसी भी प्रकार का दृढ़ संकल्प रूपी व्रत लेना अर्थात् अपनी वृत्ति को परिवर्तन करना। दृढ़ व्रत वृत्ति को बदल देता है। व्रत का अर्थ है मन में संकल्प लेना और स्थूल रीति से परहेज करना। आप सबने पवित्रता का व्रत लिया और वृत्ति श्रेष्ठ बनाई। सर्व आत्माओं के प्रति आत्मा भाई-भाई की वृत्ति बनने से ही महान आत्मा बन गये।
स्लोगन: अपने पवित्र श्रेष्ठ वायब्रेशन की चमक विश्व में फैलाना ही रीयल डायमण्ड बनना है।