Monday, February 27, 2012

Murli [27-02-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सेन्सीबुल बन चलते-फिरते जहाँ भी सेवा हो करते रहो, बाप का परिचय दो, सर्विस का शौक रखो''
प्रश्न: बच्चों की बुद्धि में कौन सी बात आ जाए तो अपना सब कुछ सफल कर सकते हैं?
उत्तर: अब यह सब खत्म होने वाला है, दो कणा देने से बाप द्वारा महल मिलते हैं... जिनकी बुद्धि में यह बात आ जाती है, वह अपना सब कुछ ईश्वरीय कार्य में सफल कर लेते हैं। गरीब ही बलिहार जाते हैं। बाप दाता है - वह तुमको स्वर्ग की बादशाही देता, लेता नहीं।
गीत:- प्रीतम ऑन मिलो...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) कम से कम 8 घण्टा इस याद की सर्विस में रहना है। इकट्ठे रहते हुए भी और संग तोड़ एक संग जोड़ने की मेहनत करनी है।
2) तेज बुद्धि स्टूडेन्ट बनना है, डल हेड नहीं। बाप समान अन्धों की लाठी बन सबको मुक्ति-जीवनमुक्ति का रास्ता बताना है।
वरदान: मालिकपन की स्मृति द्वारा परवश स्थिति को समाप्त करने वाले सदा समर्थ भव
जो सदा मालिकपन की स्मृति में स्थित रहते हैं-उनके संकल्प आर्डर प्रमाण चलते हैं। मन, मालिक को परवश नहीं बना सकता। ब्राह्मण आत्मा कभी अपने कमजोर स्वभाव-संस्कार के वश नहीं हो सकती। जब स्वभाव शब्द सामने आये तो स्वभाव अर्थात् स्व प्रति व सर्व के प्रति आत्मिक भाव, इस श्रेष्ठ अर्थ में टिक जाओ और जब संस्कार शब्द आये तो अपने अनादि और आदि संस्कारों को स्मृति में लाओ तो समर्थ बन जायेंगे। परवश स्थिति समाप्त हो जायेगी।
स्लोगन: वरदानों की शक्ति जमा कर लो तो परिस्थिति रूपी आग भी पानी बन जायेगी।