Sunday, February 26, 2012

Murli [26-02-2012]-Hindi

प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:18-06-74 मधुबन
लाइट हाउस और माइट हाउस बन, नई दुनिया के मेकर बनो
वरदान: एकाग्रता के अभ्यास द्वारा मन-बुद्धि को अनुभवों की सीट पर सेट करने वाले निर्विघ्न भव
एकाग्रता की शक्ति सहज ही निर्विघ्न बना देती है, इसके लिए मन और बुद्धि को किसी भी अनुभव की सीट पर सेट कर दो। एकाग्रता की शक्ति स्वत: ही ''एक बाप दूसरा न कोई''-यह अनुभूति कराती है इससे सहज ही एकरस स्थिति बन जाती है। सर्व के प्रति कल्याण की वृत्ति रहती है, एकाग्रता के अभ्यास से भाई-भाई की दृष्टि रहती है। उसे कभी भी कोई कमजोर संस्कार, कोई आत्मा वा प्रकृति, किसी भी प्रकार की रॉयल माया अपसेट नहीं कर सकती।
स्लोगन: सेकण्ड में विस्तार को सार में समाने का अभ्यास ही अन्तिम सर्टीफिकेट दिलायेगा।