Sunday, February 19, 2012

Murli [19-02-2012]-Hindi

“मीठे बच्चे- तुम्हें संगम पर सेवा करके गायन लायक बनना है फिर भविष्य में पुरुषोत्तम बनने से तुम पूजा लायक बन जायेंगे”

प्रश्न: कौन सी बीमारी जड़ से समाप्त हो तब बाप की दिल पर चढेंगें?
उत्तर: 1. देह-अभिमान की बीमारी। इसी देह-अभिमान के कारण सभी विकारों ने महारोगी बनाया है। यह देह-अभिमान समाप्त हो जाए तो तुम बाप की दिल पर चढ़ो। 2. दिल पर चढ़ना है तो विशाल बुद्धि बनो, ज्ञान चिता पर बैठो। रूहानी सेवा में लग जाओ और वाणी चलाने के साथ-साथ बाप को अच्छी रीति याद करो।
गीत:- जाग सजनियाँ जाग......

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) समझदार बन माया के तूफानों से कभी हार नहीं खाना है। आंखें धोखा देती है इसलिए अपनी सम्भाल करनी है। कोई भी विकारी बातें इन कानों से नहीं सुननी है।
2) अपनी दिल से पूछना है कि हम कितनों को आप-समान बनाते हैं? मास्टर पतित-पावनी बन सबको पावन (राज-राजेश्वर) बनाने की सेवा कर रहे हैं? हमारे में कोई अवगुण तो नहीं है? दैवीगुण कहाँ तक धारण किये हैं?

वरदान: कल्याणकारी वृत्ति द्वारा सेवा करने वाले सर्व आत्माओं की दुआओं के अधिकारी भव
कल्याणकारी वृत्ति द्वारा सेवा करना - यही सर्व आत्माओं की दुआयें प्राप्त करने का साधन है। जब लक्ष्य रहता है कि हम विश्व कल्याणकारी हैं, तो अकल्याण का कर्तव्य हो नहीं सकता। जैसा कार्य होता है वैसी अपनी धारणायें होती हैं, अगर कार्य याद रहे तो सदा रहमदिल, सदा महादानी रहेंगे। हर कदम में कल्याणकारी वृत्ति से चलेंगे, मैं-पन नहीं आयेगा, निमित्त-पन याद रहेगा। ऐसे सेवाधारी को सेवा के रिटर्न में सर्व आत्माओं की दुआओं का अधिकार प्राप्त हो जाता है।

स्लोगन: साधनों की आकर्षण साधना को खण्डित कर देती है।