Thursday, February 16, 2012

Murli [16-02-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - रोज़ अमृतवेले ज्ञान और योग की वासधूप जगाओ तो विकारों रूपी भूत भाग जायेंगे।
प्रश्न: कौन सी एक भूल अनेक भूतों को अन्दर में प्रवेश कर देती है?
उत्तर: मैं आत्मा हूँ, यह बात भूलने से अन्दर में अनेक भूत प्रवेश हो जाते हैं। देह-अभिमान का भूत सबसे बड़ा है, जिसके पीछे सब आ जाते हैं इसलिए जितना हो सके देही-अभिमानी बनने का पुरूषार्थ करो।
गीत:- आज अन्धेरे में हैं इंसान...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) पहले-पहले आत्म अभिमानी बनने की मेहनत करनी है, देह-अभिमान में कभी नहीं आना है। रहमदिल बन अपकारी पर भी उपकार करना है।
2) भूतों को भगाने के लिए अमृतवेले विशेष याद में रहने का पुरूषार्थ करना है। मीठे झाड़ का सैपलिंग लगाने में बाबा का मददगार बनना है।
वरदान: अपनी श्रेष्ठ दृष्टि, वृत्ति द्वारा सृष्टि का परिवर्तन करने वाले विश्व के आधारमूर्त भव
आप बच्चे विश्व की सर्व आत्माओं के आधारमूर्त हो। आपकी श्रेष्ठ वृत्ति से विश्व का वातावरण परिवर्तन हो रहा है, आपकी पवित्र दृष्टि से विश्व की आत्मायें और प्रकृति दोनों पवित्र बन रही हैं। आपकी दृष्टि से सृष्टि बदल रही है। आपके श्रेष्ठ कर्मो से श्रेष्ठाचारी दुनिया बन रही है, ऐसी जिम्मेवारी का ताज पहनने वाले आप बच्चे ही भविष्य के ताजधारी बनते हो।
स्लोगन: न्यारे और अधिकारी बनकर कर्म करो तो कोई भी बंधन अपने बंधन में बांध नहीं सकता।